Aaj ka vichaar

विचार श्रंखला ( धन/ दौलत-4)--
1,
धन - दौलत के बल पर कभी संतोष नहीं मिल सकता। - कठोपनिषद्।
2,
अधम मनुष्य धन को चाहते हैं,मध्यम वर्ग के लोग धन और मान दोनों चाहते है,किंतु उत्तम वर्ग के लोग केवल मान चाहते हैं, क्योंकि मान ही सब धन से
बड़ा है। - चाणक्य नीति।
2,
धन उत्तम कर्मों से उत्पन्न होता है।साहस,योग्यता,कीर्ति,वेग,दृढ़- निश्चय
से बढ़ता है,चतुराई से फलता- फूलता
है और संयम से सुरक्षित होता है।
- विदुर नीति।
3,
जिसकी जेब में पैसा न हो, उसकी जबान में शहद होना चाहिए।
- फ्रांसीसी लोकोक्ति।
4,
संसार के बहुत से धनवानों में भोजन खाने की शक्ति नहीं होती, परंतु गरीब
लोग काठ को भी पचा लेते हैं।
- महाभारत।
5,
जैसे रथ का पहिया इधर- उधर नीचे-
ऊपर घूमता है,वैसे ही धन भी विभिन्न व्यक्तियों के पास आता- जाता रहता है। वह कभी एक स्थान पर स्थिर नहीं रहता। - ऋग्वेद।
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प्रस्तोता- किशन धीरज,कांकरोली।
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